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हँसती हुई जुगनी

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तुम्हारा प्रायश्चित

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तीसरा समय जान ले लेगा हमारी

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सात नीम चौदह झूले

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हेमंत करकरे नाम का एक आदमी मर गया था

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एक आदमी था, एक थी औरत

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नींद, बेरुखी, फूल

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बस एक रात और हाय रब्बा!

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बीच के लोग रहेंगे देर तक ज़िन्दा

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प्यार, पूर्वाग्रह और लड़कियाँ

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हम दोनों अपनी अपनी माँ से इतने नाराज़ थे कि आत्महत्या कर सकते थे

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कितना बोलती हो सुनन्दा!

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जब भी सिगरेट जलती है...

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फुसफुसाना, बोलना या चीख पड़ना बहुत ज़रूरी था

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मैं जब भी फ़िल्मों की बात करता था तो वे सब शाहरुख को ही ले आते थे।

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सपनों का मर जाना सामाजिक हर्ष का विषय है

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उसका बहुत मन करता था कि वह आँखों में तितली या गुब्बारा या माउथ ऑरगन लगाकर सोए।

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मुझे चाँदी के दिन चाहिए...

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मैं जिनके लिए नहीं लिखता, वे मुझ पर अपना वक़्त बर्बाद न करें

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और जीते रहना इतना आसान है कि

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तुम यूं लिखना कि सुन्दर लगे, अश्लील न लगे

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रातें उन दिनों की चालाक प्रेमिकाएं थीं। वे रतियाए हुए खूबसूरत दिन थे...

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तुम्हारी बाँहों में मछलियाँ क्यों नहीं हैं और नॉस्टेल्जिया

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बहुत देर होने के ठीक बाद

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जैसे चाँद को देखा करते थे

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आँख में धूप है

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माथा तो नहीं है ना होठ?

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बहुत अनरोमांटिक हूँ मैं

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स्त्रियों ने जिन पुरुषों से किया प्रेम

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बहुत बेहतर होता आम तोड़ना, बाँसुरी बजाना, कविताएँ लिखना

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अधूरा नहीं छोड़ा करते पहला चुम्बन

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बोधिसत्व की एक स्त्री कविता

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इससे पहले कि शराब पीना खो दे अपनी अश्लीलता

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श्रीनगर की एक मस्ज़िद में मैं पढ़ना चाह रहा हूं गायत्री-मंत्र

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बालकनी की पीठ से पीठ टिकाकर नाखून काटती हुई लड़की के लिए

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परेशान है ज़माना

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IIT वाले...भाग-2

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मेरा 'about me' भी चुरा लिया गया

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नन्हे नन्हे ख़्वाब

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चोरी का 'प्रीतम'

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महीने के आखिरी दिनों में

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IIT वाले.... भाग-1

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एक शहर की एक गली में

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पागल-पागल

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मेरा [V] महान बनाम एकता कपूर!