माफ़


- उन्होंने यह कहने को कहा है कि वे आपसे कभी.. कभी नहीं मिलेंगी।

उन्होंने दरवाज़ा खोला ही था, एक आधा बिस्किट उनके हाथ में था और मैं गले नहीं लगा पहले, ना ही छुआ उन्हें और यह कहा मैंने।

मुझे लगा था कि वे गिर जाएँगे पर इसके अलावा कोई और तरीका नहीं था क्या होता जो मैं अन्दर जाता, वे हँसते कि इस बार तो तुम मंगलवार को ही गए हो और मैं कहता कि हँसो मत पिता, तुम्हारी पत्नी अब तुम्हारी पत्नी नहीं है

पर वे गिरे नहीं। देखते रहे मुझे। और फिर बोले कि क्या मैं मज़ाक़ कर रहा हूं? मैं यहाँ मई की गर्मी में दोपहर के साढ़े तीन बजे मज़ाक़ करने आऊंगा? मैं पसीने से भीगा हुआ था और सोच रहा था कि क्या वे फ़्रिज में पानी रखने लगे होंगे अब, और अब कौनसी बात पर पहुँचकर मुझे पानी माँगना चाहिए। 

- अंदर जाओ..
- मुझे काम है थोड़ा.. यहाँ कोर्ट में।

वे रुके ज़रा।
- तुम भी नहीं मिलोगे इसके बाद?
- मैं...मैं तो यहीं हूं.. मैं क्यों नहीं मिलूंगा?

फिर वे चुप रहे। उन्होंने मुड़कर अपने घर की तरफ़ देखा जैसे वह बदल गया हो इस एक मिनट में, या अंदर चोर घुसे हुए हों और वे देख रहे हों कि कितना सामान बचा है। और वे गिड़गिड़ाने को हुए जब, तब मुझे अफ़सोस हुआ अपने पैदा होने पर, और इस बेवकूफ़ी पर कि क्यों नहीं मैंने एक एसएमएस कर दिया, जैसा माँ ने कहा था मुझे।

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उसने उंगलियों पर गिनी चीजें

उसने उंगलियों पर गिनी चीजें। और एक और झोंका आया, ध‌ड़ से बजी खिड़की। बाल लहरा गए हवा में, उसने अपनी छाया देखी काँच पर। बालों की भी छाया। उसने एक घर देखा सामने जिसके एक कमरे में रोशनी थी और एक बच्चा घुटनों पर झुका बैठा था एक दीवार के सामने।

वहाँ टीवी था क्या
? 


उसने फिर से गिनना शुरू किया। दस्तानों को, मोजों को, चश्मों को। फिर अचानक रुका वह बीच में ही और दायां हाथ, जिस पर वह गिन रहा था, आगे बढ़ाकर हथेली खोल ली उसने, जैसे पानी गिरेगा अभी।

सामने वाला बच्चा अपनी खिड़की पर आ गया था, एक औरत थी उसके पीछे और कोई औज़ार था उसके हाथ में, शायद पेंचकस, जिससे वह उसे खोलने की कोशिश कर रहा था।

कोई चिल्लाया नीचे कहीं
, जाते हुए किसी दोस्त के लिए कुछ शायद, और वे हँसे दोनों। एक कुत्ता भौंकता रहा देर तक।



रोशनी सारी

मैं ख़ुद से निकलकर बहा हूं
तभी रहा हूं

तुम जब पंख लगा रही होती हो
अपने कंधों पर
तो मेरा मन होता है कि धीमे से
उनमें यूं फिराऊं उंगलियां
जैसे देवदूत तुम्हारे बालों में फिराते रहे इतने साल
और तुमने सारी कायनात के गिरने को संभाला

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क़त्ल करने की जगह हमेशा मौजूद रहती है घर में

कमरे दो हों या हज़ार 
क़त्ल करने की जगह हमेशा मौजूद रहती है घर में
मैं एक फंदा बनाके बैठा रहा कल सारी रात
कि तुम जगोगी जब पानी पीने

मैंने अपनी इस आस्था से चिपककर बिताई वह पूरी रात
कि गले में कुछ मोम जमा हुआ है मेरे और तुम्हारे
और वही ईश्वर है
जो हमें बोलनेउछलने और खिड़की खोलकर कूद जाने से रोकता है
जम्हाई लेने से भी कभी-कभी
पर कसाई होने से नहीं

कैसे बिताई मैंने कितनी रातेंइस पर मैं एक निबंध लिखना चाहता हूं
इस पर भी कि कैसे देखा मैंने उसे सोते हुए,
सफेद आयतों वाले लाल तकिये पर उसके गाल,
वह मेरे रेगिस्तान में नहर की तरह आती थी
वह जब साँस लेती थी तो मैं उसके नथुनों में शरण लेकर मर जाना चाहता था
उसकी आँखें उस फ़ौजी की आँखें थींजिसने अभी लाश नहीं देखी एक भी
और वह हरे फ़ौजी ट्रक में ख़ुद को लोहे से बचाते हुए चढ़ रहा है
जैसे बचा लेगा

यूं वो इश्क़ में खंजरों पर चली

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