जिन पंखों के बारे में हमें क्लास में बताया गया था

साँस आने के रास्ते में ही
इतनी बेहिसाब रोशनी है भाईसाहब
कि मुझे जीते हुए सब देखते हैं
सब देखते हैं मुझे नमक खाते हुए
आयोडीन की कमी से घेंघा न होते हुए

मेरे सामने खरीदी गई हैं सब पिस्तौलें
सब लड्डुओं को मेरे सामने तौला गया है
कोई बेईमानी नहीं कहीं
यह आपका प्रताप है
हमारे महाराणा प्रताप
सब सफेद है जिसमें, आसमान भी
और मैंने अपनी आवाज़ के पिछले अपमान को भूलते हुए
दिल की नोक पर
कोई प्यार का गीत गाने का फ़ैसला किया है
जिसके ख़िलाफ़ अपील होगी
जिसमें मैं मुस्कुराने, खाते रहने की फ़िराक़ में
जीते हुए आपको रोशनी में दिखाई दूँगा,
जीतते हुए नहीं।
ऐसे में आप रोएँ नहीं,
माना कि समय बहुत मेहरबान नहीं
पर दिल को न भर आने दें टंकी की तरह
इतना भी कूड़ा नहीं कानून
जेल में लोग खाते हैं अभी रोटी, बोलते हैं भाषा
अभी बहुत से लोग और होंगे तमाशे
बहुत सी कहानियाँ होंगी, जिनके बीच से उठकर भागेंगे हम
हम अपने बच्चों को देंगे सेब सा ग्लोब
यह उन्होंने तय किया है
इसलिए सेब और ग्लोब,
दोनों के दुश्मनों को पहले पहचानने का समय दो सरकार को
जबकि उसके पास बहुत से काम हैं,
उसे मूँगफली चबाने के पैसे नहीं मिलते तुम्हारी तरह,
उसे जंगल छानने हैं आटे की तरह
माँजने हैं तुम्हारे दिमाग जबकि तुम मूर्खों की तरह दूर भागते हो
उसे बताना है जजों को कि
किसकी आँखों में तेज़ाब डालना है
किस ओर से मँगाना है सूरज
किस ओर बुझाना है

और किसी दरवाज़े पर हम अपने सामान की चौकीदारी की नौकरी करते हुए
सो जाएँगे, पकड़े जाएँगे
बर्ख़ास्तगी तो मोम सी कोमल है मेरी जान
हम तो इसलिए माफ़ी माँगते हैं कि
अपने असली हाथों को हिलाते हुए
अपने पैरों पर लौट सकें
अपने घर, जिसके पते में हम केयर ऑफ उनके होंगे

अँधेरों के रंग
मुझसे पूछकर नहीं बदले गए साहब
हाँ, परदे ज़रूर मैंने खरीदवाए थे
मैं किताबों के खोने के बारे में
जानना तो चाहता था, लेकिन कुछ जानता नहीं माँ कसम,
इससे पिछली बार जब मैंने यह जानना चाहा था कि
बाघ क्यों बचाए जा रहे हैं,
तब मुझे एक खराब सपने में फेंक दिया गया था
जिसमें बच्चे चुन-चुनकर मारे जा रहे थे

मैं जो आख़िरी चीज जानता था
वह किसी झंडे पर नहीं लिखी थी
लेकिन अपने बदतमीज़ लहजे के लिए मुझे माफ़ कीजिए
कि हर बार उसे आज़ादी की तरह बताता हूँ
पछताता हूँ

जिन पंखों के बारे में हमें क्लास में बताया गया था सर,
वे हमारे बदन पर नहीं थे कभी भी
जबकि हम भी पैदा हुए थे

कचरे से नहीं उग आता कोई पूरा आदमी।



आप क्या कहना चाहेंगे? (Click here if you are not on Facebook)

7 पाठकों का कहना है :

प्रवीण पाण्डेय said...

सच है, एक दिन में निर्माण नहीं होता है व्यक्तित्वों का।

पद्म सिंह said...

मैं जो आख़िरी चीज जानता था
वह किसी झंडे पर नहीं लिखी थी
लेकिन अपने बदतमीज़ लहजे के लिए मुझे माफ़ कीजिए
कि हर बार उसे आज़ादी की तरह बताता हूँ
पछताता हूँ

... सुन्दर अभिव्यक्ति

संध्या आर्य said...

सांसे कांटो से होकर जाती
और चुभती जिंदगी
सत्य झडते हुये पत्ते
जहाँ मौसम रुखी हो
बदलती है वक्त के साथ
पतझड ज्यादा और बसंत नवजात शिशु
जिन्हे सर्द मौसमो से दूर रखना होता है
इसके बावजूद
रिस जाता दरख्त भी अपने
छुटे पत्तो की लड्खडाहट से

राजनीति के खेल मे
जनता ही महामाया
पीसी घुन सी,
मिठाई है नेताओ की
इनके आगोश मे
लतीफे कानूनो की
जो चलती है और कत्ल होते है
हम और आप

बदहवास हो चली
वतन की अमन और
हर चौराहे पर गढ्ढा
उसमे गिरते लोगो की तासिर
ठ्न्ढी हो
पैदा कर रही है बर्फीली तुफान
पिघल सकती है ग्लेशियरे
उमस खाये रिश्तो से
डुबेगा तिनका भी जिसका
बाहर आना हमेशा से सम्भव था
पर यह जनतंत्र है साहब
सबकी अपनी अपनी खेती है
जिसे काटती है जनता
पर खाती है टोपी
चरखा वाली नही

चाहे निकल जाओ
कही भी सुदूर
पर आंखे दौडती है
रेस कोर्स के घोडो के पीछे
बेहद खुबसूरत टोपियाँ और
पर्सो मे लिपटी नगीनाओ पर भी
जो सरकार की इक
इसारे पर नाचती है

कुर्बान होने से पहले
पूजन की परम्परा
और कैदखाने में रोती आंखो को
सिकंजे की जरुरत नही होती
अंधेरा ही हमसफर
चौकीदार रौशनी
मजलूमो की

कई जिंदगियो के बीच
पैदा होता है कई बार
एक आदमी
ये दुनिया है साहब यहाँ
सभी तरह के चिडियो का होना
लाजमि है
पर बाज़ आयेंगे और
बाज़ी उनकी ही होगी
गौरैयाँ तो सिर्फ फुदकना जानती है!!!!

डॉ .अनुराग said...

love this.....you made my day.....

नया सवेरा said...

... bahut sundar !!

talent said...

bahut achha.....

Arpit Tambi said...

Congratulations mate! Saw your photo on front page today in Rajasthan Patrika news paper. Felt proud and it was kind of inspiring.

I think I also read your article somewhere in a newspaper in past but I thought it was not you.

Wanted to call you up but didn't get your number, mine is 9314021511.

Once again, congrats for the award and all the best :)

Arpit Tambi