तुम रोती रहना

जीने और मर जाने में
दो चार इन्च,
चाकू की एक नोक
या बस रस्सी के एक बल का फ़ासला है मेरी दोस्त।
यह रात के किसी भी वक़्त हो सकता है,
जब तुम सो रही हो
या नहीं सो रही हो,
बाहर चाहे कितना भी शोर हो
और रात में ट्रैफ़िक।

घड़ी की किसी भी टन्न की आवाज़ पर
या उससे भी पहले
मैं तुम्हें छोड़कर जा सकता हूँ।

लौटना भी चाहूँगा
तो लौट नहीं पाऊँगा फिर।
सिर पीटूँगा,
तुम रोती रहना।



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13 पाठकों का कहना है :

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत खूब!!

Unknown said...

गौरव मौत से इतनी मोहब्बत क्यों.. अलबत्ता कविता बहुत बढ़िया है..

श्यामल सुमन said...

जीवन और मौत में तो सचमुच एक पल का ही फासला होता है भाई, लेकिन रचना में इतनी निराशा क्यों?

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

चन्दन said...

खूब!

शशिभूषण said...

सच है जो मासूमियत ज़िंदा रखेंगे कवि होंगे.लड़की से तो हम यही कहना चाहते हैं पर खुद को जो बोलना है उसके लिए ताज़ा प्रगतिशील वसुधा से हुमैरा रहमान के दो शेर अर्ज़ हैं.

एक चेहरा तस्वीर से बाहर लाने को
अच्छे ख़ासे मंज़र काटने पड़ते हैं

मौत किसी मामूली चीज़ का नाम नहीं
इसके साथ कई डर काटने पड़ते हैं

अनिल कान्त said...

Nice Poem !

निर्मला कपिला said...

अच्छी लगी ये कविता। कहीं उसे डरा तो नहीं रहे? वर्ना कोई भी जा सकता है मौत उसकी भी हो सकती है। मनाने का अन्दाज़ अच्छा है। शुभकामनायें

डॉ .अनुराग said...

एक ओर सामान जुड़ गया ..बेशकीमती

Ambarish said...

andaaz accha hai, bhavarth kya hai?

Unknown said...

i completely agree wth nirmala ji.....dara bhi rhe ho aur andaaz alag aur achcha(halanki jaanlewa) bhi hai.......bttt.....??????
no comments upon tht as tht ws nt the sbject.....

anywazzz.....well written..loved it heartily..!!
:)
....n yesss,...congrats meee..!!! aaj main comment kar payi finally.....hehehe!!! :D

Dharmendra Singh Baghel said...

Padhkar marne ko man karta hai.

aparna said...

gud1

Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय) said...

waah...aapka andaaze bayan hai kuch aur :P