कैसे लेते हैं आप लोगों से विदा?

क्या आप चले जाने का कोई ठीक ठीक तरीका जानते हैं?
क्या सिखा सकते हैं मुझे
कहीं से लौटते हुए हँसी जा सकने वाली कोई सुन्दर हँसी?

कैसे लेते हैं आप लोगों से विदा?
क्या हाथ भी पकड़ते हैं, क्या छूते हैं उनकी आँखें?
क्या बताते हैं कि कब आएँगे फिर और कब नहीं

क्या बताते हैं उन नई जगहों के बारे में भी कुछ उनको
जहाँ आप चले जाएँगे अभी कुछ देर में,
उन लोगों के बारे में
जो ऐसे ही किसी दूसरे स्टेशन पर आपका इंतज़ार करते मिलेंगे
उठा लेंगे आपका बैग, हँसेंगे और एक दिशा की ओर ले चलेंगे आपको
बताते हुए कि उस स्टेशन पर दो ही मिनट रुकती है वह रेल
अच्छा हुआ कि आपकी आँख नहीं लगी

सच कहिए,
क्या आप देखते हैं उनकी आँखों में आँखें डालकर
जिनसे आप विदा ले रहे हैं
क्या आप उन्हें कहते हैं, कह पाते हैं कोई हौसले वाली बात?
कोई तूफ़ानी शेर या कोई छोटा चुटकुला
या यह कि बारिश होगी आज, घर लौटकर अन्दर डाल दें सूखती हुई मिर्चें और न देखते रहें घर की दीवारों को किसी मातमी ढंग से
या ये कि परेशान न हों ज़्यादा, हों तो आपको याद करें
दुनिया छोटी है, जिसमें हम बहुत जल्द मिलेंगे भले ही अभी ऐसा ना लग रहा हो

वे आपके बिना मरने को हो जाएँ, रोने लगें भीड़ में
तो कैसे छुड़ाते हैं हाथ?
ट्रेन सीटी भी दे दे ऐसे में तो बहुत मुश्किल होती है ना
क्या आप यूँ ही उन्हें छोड़ देते हैं उनके शहर के भरोसे
और बैठ जाते हैं अपनी सीट पर?
कौनसे हाथ में बैग पकड़ते हैं, कौनसे में पानी?
क्या आवाज़ को भर्राने देते हैं या बने रहते हैं सख़्त और ख़ुश?

क्या आप कहीं से भी वैसे लौट पाते हैं
जैसे आए थे बैग लेकर एक दिशा से
यह सुनते हुए कि इस स्टेशन पर दो ही मिनट रुकती है रेल
अच्छा हुआ कि आपकी आँख नहीं लगी