इतना दुःख होगा

हवाई ज़हाज़ तैरते होंगे बादलों पर,
कौवे होंगे।
शोर होगा, चुप्पी होगी, नहीं होगा संगीत
न ही पानी।
होंगे मेडिकल स्टोर
और वह किसी अस्पताल में
लंच पर गए डॉक्टर के इंतज़ार में
बेबस पिता को मरते देखने जैसा होगा।

ज़ार ज़ार रोने से भी
नहीं होगा बूँद भर भी कम।
कब्रिस्तान पर बैठे मासूम बच्चों के स्यापे जैसा
इतना दुःख होगा पगली
कि मैं आऊँगा याद।

मुझे न खोज पाओ तुम,
मैं न मिलूँ तुम्हें।



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3 पाठकों का कहना है :

Anonymous said...

ooh..

अनिल कान्त said...

दोस्त दिल को अपनी रचना में उतार देते हो ...जो भी कहना चाहते हो साफ़ साफ़ कह देते हो ...सचमुच बेहद प्रभावशाली

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

Unknown said...

क्या कहूं! एक बहुत सुन्दर रचना, सोचने को मजबूर कर देने वाली.